सुनाओ कुछ मिलन की बात अच्छी!
जिससे कटे यह चाँदनी रात अच्छी !!
हर रात की नही होती बात अच्छी !
जब जगे ज़ज्बात,है शुरूआत अच्छी !!
दिल लगा हो तो, लगती हरबात अच्छी!
प्यार मे तो लगती , कड्वी बात अच्छी!!
तुम दूर चले जाओ, नही यह बात अच्छी !
फ़िर मिलो न मिलो,नही यह बात अच्छी !!
याद आती है, मिलन की वो रात अच्छी !
हुई थी तुमसे पहली ,वो मुलाकात अच्छी !!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज
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