रविवार, 11 सितंबर 2011

janam din

यह आपके आशीष और स्नेह की है अविरल धारा,


जिसने इस जीवन मे न जाने कितने बार है उबारा!!

जब कभी लेखनी ने ,विश्राम की कल्पना की है,

तब तब आत्मा ने आवाज़ दी और विवेक ने पुकारा!! यह आपके........

यूं ही समय कटता गया, और पता भी नही चला,

कब उम्र ने दस्तक दी कि अब आ गया है किनारा !! यह आपके........

कल तलक तो माँ- बाप का साथ था सानिध्य था,

लगता था " आज भी हूं छोटा बच्चा कोई कुवाँरा !! यह आपके........

पर इस बरस वो नही है,सब कुछ बदल चुका है ,

ना कोई ममता की झिडकी ,ना कोई डाँट का फ़ु्वारा!!यह आपके........

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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