गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

अनुराग

मुझे तुमसे अनुराग कितना है?

पुष्प में मीठा पराग जितना है !

भ्रमर स्वादन जितना भी करे,

पुनर्निमाण का सम्भाग उतना है!! मुझे तुमसे........


माँ की ममता दूध से बहती है,

जीव-पालन की वेदना सहती है!

फ़िर भी निश्चल,निष्काम प्रेम की,

अविरल-धार आँचल मे रहती है!!

उसी निश्चल प्रेम का प्रतिफ़ल हूँ,

जो विवहिता के सुहाग जितना है!! मुझे तुमसे......

उषा-भास्कर की प्रथम किरण से,

प्रेम हर कोई समझ सकता नही!

है वो अहसास जो कभी किसी,

भाव विश्व मेकहीं बिकता नही !!

बेशक तुम उसका प्रत्युत्तर नही,

देखे मौन मे बैराग कितना है? मुझे तुमसे.....

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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