शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

रा्जनीति की रंग-बिरंगी पिच्कारी,

रा्जनीति की रंग-बिरंगी पिच्कारी,


इक दूजे पर बढ-चढ देवें गारी !

जनता सुन-सुन लेय रही आँनद,

कोऊ नही जानत किनकी बारी!! रा्जनीति की....

अभे सभी इक दूजे बतावत भ्र्ष्ट,

पर बाद इलैक्शन होवे है लाचारी !!

इब तो जनता जान गई है इनको,

और जानित है इनकी मक्कारी !! राजनीति की........

आज जो दीखत हैं जैसे दुसमन,

बाढेगी फ़िर बिनमे ही भाई-चारी !

पर बाद इलैक्शन सबै बिसराकर,

करिंगे सरकार बनावे की त्त्यारी !! रा्जनीति की....

हाय छिछोडी कैसी राजनीति भई,

जैसे कीचड मा फ़ूहड खेलें होरी !

भाई-भतीजा सत्ता हथियाकर करें,

समाजवाद की फ़िर से बलिहारी !! रा्जनीति की......

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