रविवार, 6 मई 2012


हँसना अब कितना मुहाल हो गया ?
विलावज़ह क्यूं हसूं सवाल हो गया!
दर्द को हम आज बेसाख्ता पालते हैं,
हँसने को मिले,फ़िर भी हम टालते हैं!!
सेहत के लिये हँसना कितना मुफ़ीद है,
गमज़दा इन्सान तो हँसने का मुरीद है !!
ब्लड प्रैशर,हाईपर टैन्शन से सब त्रस्त है,
इसीलिये हज़ारों बीमारियों से हम ग्रस्तहैं!!
चलो आज हास्य दिवस पर कसम खायें ,
गम कितना भी संगीन हो,धूंये मे उडायें !!  
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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