मंगलवार, 8 मई 2012

न दफ़न करो




मेरे प्यार के गुबार को,
 न यूँ दफ़न करो !
गर हो गया कोई कुफ़्र,
तैय्यार क्फ़न करो !
हो गई हो गर शमा रौशन,
दावत-ए-सुखन करो!
तेरी रुसवाईयों से डरता हूं ,
वर्ना कहता कोई जशन करो!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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