हिंदी की बिन्दी,
खुद हमने कर दीनी चिन्दी-चिन्दी !
भारत माँ का भाल हो रहा सूना,
राष्ट्र भाषा अपनी क्यों लगती गन्दी !! हिन्दी की बिन्दी..
सबसे सहज़ सरल निज भाषा ,
झूठा प्रेम दिखा मनाते दिवस हिन्दी!! हिन्दी की बिन्दी..
अगले दिवस भुला जाते इसको,
३६४दिन इसकी कर देते ताला-बन्दी!!हिन्दी की बिन्दी..
अंग्रेज़ी,उर्दू सबको अपना बनते हम,
दरिया-दिल ,और भुला जाते माँ-हिन्दी!!हिन्दी की बिन्दी..
राष्ट्र-भाषा का दर्ज़ा देकर भी हमने,
गौरव नही प्रदान किया रोये-हिन्दी!! हिन्दी की बिन्दी..
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
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