शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नवे साल 2012

म मिलानेनवे साल में साली- सल्हेज़ सmilave  को मनवा ब्याकुल है ,
कोइ कोकिल सी कूके , कोइ म्हारी प्यारी सुन्दर  बुलबुल है !

कैसी मीठी लागे इनके तरकस से निकसी उल्टी सीधी   बाणी ?
जैसे जेठ भरी दुपहरिया ,काऊ बाबड़ी  को ठंडो -मीठो   पाणी !!

जब ठुमक-ठुमक चलें जे, लहरावे इनको घड़ें घेर को घाघरो ,
सिमला सो होय जावे है ,जेठ माह मेऊ जू अपनो     आगरो !!

]बिनकी प्रीत करावे शीत ,पर जा तन में आय गयी गरमाई ,
भूल गओ हों सब मै अपनो ,मफलर ,टोपी  और नरम रजाई !!

बोधिसत्व   कस्तूरिया   २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा 282007 


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