हमने जिंदगी को ,इतने करीब से देखा है !
जीवन-मृत्यु मध्य ,एक हल्की रेखा है !!
पता नही इह लोक-परलोक की दूरी ,कब मिट जाय?
विश्वास-अविश्वास की मजबूरी कैसे घट जाय ? हमने जिंदगी .......
रिश्तों दुशाला ओढ ,छिपे हैं कितने ही हत्यारे ?
उन्हें क्या फर्क पड़ता है,कि कौन मरता है प्यारे?हमने जिंदगी ........
जिंदगी काल के गाल,चंद लम्हों में सिमट जाती है !
shashwat सत्य के दिए की ,जीवन इक बाती है !!हमने जिंदगी .......
बोधी सत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा 282007
रविवार, 11 जनवरी 2009
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