शनिवार, 2 सितंबर 2017

विजयदश्मी

बदल रहा है देश हमारा, बदल रहा परिवेष हमारा! रामनाम के चोले मे ठगता,भक्तो को दरवेश हमारा! रावण ने बहन पर अत्याचार का प्रतिशोध लिया था! पर माँ सीते पर क्या कभी कोई व्यभिचार किया था? पर जो राम रहीम बन अपने स्वज़नो को ठगते है! वो आज रावण से भी ज़्यादा अभद्र आचरण रखते हैं! बना बेटी उसके घर-परिवार मे ज़िसने आग लगाई है! वो न बाप ना गुरू बल्कि नारीहन्ता और कसाई है! कोई रामपाल कोई रामवृक्ष कोई आसाराम बना है! धर्म और सत्ता के मद मे रावण का भी बाप बना है! रावण का दहन कर क्या जतलाना चाहते हो भाई? अन्तस के रावण-भ्रष्ट आचरण का दहन करो भाई! लैं शपथ भ्रष्ट-पाखन्ड की लंका जलायेंगे! रामराज्य पुनह्स्थापित कर भारत माँ का कर्ज़ चुकायेंगे! बोधिसत्व कस्तूरिया आगरा