रविवार, 23 दिसंबर 2012

पुलिस


जब कुछ और नही होता है,
वह अपने महलों मे सोता है!
वो और नही है कोई भाई,
वो अंगेजो का ही तोता है !!
कहते है उस्को पुलिस सभी,
जो दानव का ही पोता है !!
माँ,बहन और बेटी कोई नही,
जब हाथ मे ड्न्डा होताहै !!
जलियाँवाला बाग याद हमे,
इन्डियागॆट  अब रोता है !!
समय बदल गया, नही ये,
प्रजातंत्र मे भी  होता है !!
रॆप-बलात्कार शरीर से नही,
केवल विवेक से होता है !!
आज दिल्ली पुलिस ने किया,
शासन क्यूँ फ़िर सोता है ?
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा-२८२००७

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

गुनह्गार,


मेरे बागों की मैना ,बिल्कुल मौन है !
उसका दर्द समझते सब, मेरा कौन है?
चाहती है उडना वो, खुले आकाश मे ,
क्यूं बँधी रहे वो मेरे, प्रेम-पाश मे !
मैने उसे घर दिया था इस आस से,
वो रहे सुरछित,बहेलियों के त्रास से !
मैने दिया उसे निश्चल-निष्काम प्रेम,
तोड दिया उसने ,मेरे अन्तस का फ़्रेम!
है मेरी अभिलाषा वैसे ही गुन्गुनाये,
सदा उन्मुक्त आकाश मे वो चहचाये !
जो चाहे सज़ा दे ,मैं उसका गुनह्गार,
वो सत्य समझे नही,है वो मेरा प्यार!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

सोमवार, 3 दिसंबर 2012

अब कहाँ ?


सांझ को सजने वाली मह्फ़िलें अब कहाँ ?
अपनी धुन मे मद मस्त काफ़िले अब कहाँ ?
हर कोई अपने शगल मे गाफ़िल दीखता है ,
हुनर को भी कोई किसी से नही सीखता है !
है यह नई उम्र और नई फ़सल का फ़ल्सफ़ा,
अपने ही मोबाइल से गाने सुनना तब कहाँ? सांझ को सजने ...
खेल के मैदान मे इक्का-दुक्का ही दीखता है,
बिना ट्यूशन अब कहाँ कोई कुछ सीखता है !
कोचिंग और मय्खानो पर ही भीड दिखती है,
लाइब्रेरी मे बैठ खुद पढने का ट्रेंड अब कहाँ?सांझ को सजने....

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शनिवार, 10 नवंबर 2012

अगले जनम


यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
क्या तुमने नव श्रंगार किया ?
मै पागल प्रेमी पूछ रहा सबसे,
क्या मैने किसी से प्यार किया!!
जो तुम मेरे जीवन मे आईं,
तुमने मुझ पर उपकार किया !
श्याम सलोने सा सुन्दर बेटा,
मुझको अनुपम उपहार दिया !!यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
उर मे बसी उर्वशी हो मेरी तो,
कभी काली का अवतार लिया !
कभी नही माँगा कुछ तुमने ,
नाही सेवा का अधिकार दिया !!यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
कैसे हो परिपूर्ण प्रेम-परिभाषा ?
है मेरी यह अन्तिम अभिलाषा !
अगले जनम बनूं तुम्हारी सजनी,
और तुम बनना मेरे प्राण पिया!!यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
 बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

सोमवार, 5 नवंबर 2012

तहज़ीब


प्यार मे रूठना-मनाना भी, एक तहज़ीब है !
ज़ाहिर इसी से होता, कौन कितना करीब है!!
उस रब की काय्नात का,यही सिलसिला है !
कभी खुशी देता है वो, तो कभी गम मिलाहै!!
रूठने -मनाने  का शायद,यही फ़लसफ़ा है !
ज़माने मे कहीं ज़फ़ा ,तो  कहीं वफ़ा है !!
कहते है कि यह ज़िन्दगी कितनी अज़ीब है?
क्ल तक जो मानिन्द था,आज वही रकीब है!!
प्यार मे रूठना-मनाना भी, एक तह्ज़ीब है !!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

भारत की नारी


इक दिन एक नन्ही परी, जब मेरे आँगन मे आई!
सारे घर मे खुशियाँ गूंजी, ओर बाज उठी शहनाई!!
किलकारी से महका आँगन,उपवन मे छाई तरुणाई,
फ़िर मीठे तुतले बोलों से,पुरखों की बगिया महकाई!! इक दिन एक नन्ही परी,
पता नही संग सहेली ,कब विद्द्यालय की दौड लगाई,
धीरे-धीरे यौवन की पाँखुर, लेने लगी नई अरुणाई !! इक दिन एक नन्ही परी,
स्वप्न सलोने लगी सजाने,पौढी पर बारात जो आई,
सबकी आँखो मे अश्रुधार थी,घडी विदा की जब आई!! इक दिन एक नन्ही परी,
चार दिना भी बीते नही ,दहेज़ लोलुपों ने कार मंगाई,
कैसे अम्मा-बाबू से कहती,खामोश सह्ती रही पिटाई!! इक दिन एक नन्ही परी,
घर-घर परियो की यही कहानी,मुझको दे रही सुनाई,
किससे मनुहार करे?सारे अब तो मुझको लगें कसाई!! इक दिन एक नन्ही परी,
उस दिन आँखे पथराय गई,तलाक नोटिस दिया सुनाई,
कोर्ट-कचहरी सब बेमानी, लगी गाँठ सुलझे न सुलझाई!! इक दिन एक नन्ही परी,
पर वो भारत की नारी है, उसने फ़िर हार नही अपनाई,
तन-मन-धन से फ़िर शुरू की, उसने आगे अपनी पढाई!! इक दिन एक नन्ही परी,
मन मे इक विश्वास जगा ,अद्ध्यन से नही बडी कमाई,
अद्ध्य्यन अध्यापन से नारी मे, उसने नई अलख जगाई!!इक दिन एक नन्ही परी,
जन -सेवा संकल्प लिया ,सरकारी नौकरी की करी पढाई,
आज सभी उसके गुण गाते, खाते उसी की गाढी कमाई !!इक दिन एक नन्ही परी,
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

हिंदी दिवस


हिंदी की बिन्दी,
खुद हमने कर दीनी चिन्दी-चिन्दी !
भारत माँ का भाल हो रहा सूना,
राष्ट्र भाषा अपनी क्यों लगती गन्दी !! हिन्दी की बिन्दी..
सबसे सहज़ सरल निज भाषा ,
झूठा प्रेम दिखा मनाते दिवस हिन्दी!! हिन्दी की बिन्दी..
अगले दिवस भुला जाते इसको,
३६४दिन इसकी कर देते ताला-बन्दी!!हिन्दी की बिन्दी..
अंग्रेज़ी,उर्दू सबको अपना बनते हम,
दरिया-दिल ,और भुला जाते माँ-हिन्दी!!हिन्दी की बिन्दी..
राष्ट्र-भाषा का दर्ज़ा देकर भी हमने,
गौरव नही प्रदान किया रोये-हिन्दी!! हिन्दी की बिन्दी..

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७



रविवार, 9 सितंबर 2012

झील के साये मे भीगा तन तुम्हारा,


झील के साये मे भीगा तन तुम्हारा,
याद है आज भी साझं का वो नज़ारा!
वासना के समन्दर मे मन गोते ले,
और तन गर्म श्वासों मे डूबा  बेचारा!!झील के साये मे ....
रात पूरी यूं ही आँखों मे ही कट गई,
पता नही सूरज कब निकला दोबारा!!झील के साये मे .....
दिन गुज़र गया उनीदी कल्पनाओं मे,
सांझ होते ढूँढ्ने लगा झील का किनारा!!झील के साये मे ....
तुम ना आये फ़िर कभी उस झील पर,
हाँ मैं रोज़ आता हूँ कि हो दर्शन दुबारा!!झील के साये मे ...

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शनिवार, 1 सितंबर 2012


कितना संघर्ष चारों ओर है ?
पता नही साझं कब भोर है !!
सावन यूही सूखा निकल गया ,
भादों मे नाचता अब मोर है!!कितना संघर्ष...
कोयल अब कूकती नही है,
कऊओ का सब तरफ़ ज़ोर है!!कितना संघर्ष....
संसद अब सेवा करती कहाँ?
अब यहाँ  गुन्डों का शोर है!!कितना संघर्ष...
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

बुधवार, 8 अगस्त 2012

गोविन्दा


मेरा छोटा सा प्यारा सा लाला!
मेरा गोविन्दा, श्याम ,गोपाला !!
जसुमति का है यह  क्न्हाई,
इसे नज़र किसी ने  लगाई,
कर डारूंगी,उसका मुँह काला!! मेरा गोविन्दा श्याम..
नन्द्लाला का है यह खिलोना,
मेरा छौना है सबसे सलोना,
बडे नाज़ों से इसको है पाला !!मेरा गोविन्दा श्याम...
ब्रज़ मण्डल मे बाजे -बधाई ,
इसकी प्यारी छवि सबको भाई!
नाचें ब्रज के गोपी औ ग्वाला !!मेरा गोविन्दा श्याम..

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

रविवार, 22 जुलाई 2012

रमज़ान


आया आया रमज़ान का, यह जो मुक्द्दस महीना !
रोज़ेदारों पर रहमत खुदा की,डूबे कभी ना सफ़ीना!

पीर -मुरशिद कह गये ,  कामे तू ऐसा कर जा,
कभी तुझसे तकलीफ़ . किसी और को हो कभीना!!आया आया रमज़ान का..

सज़दे मे उसके जिसका भी, सर कभी झुका हो,
आसान हो गया फ़िर उसका,मुश्किलो मे भीजीना!!आया आया रमज़ान का...

जो है तू सच्चा मुसलमान ,मुसल्सल ईमान रख,
कोई क्या बिगाड लेगा, चाहे हो कितना कमीना !!आया आया रमज़ान का..

अल्लाह् पर जो रखेगा तू ,हर वक्त हर शै एतबार,
वो ही कर देगा ज़िन्दगी को, खूबसूरत नगीना !!आया आया रमज़ान का...

मिलता है रोज़ों का सबब, केवल उसी शख्स को,
जिसने किसी और से, कभी कुछ नही हो छीना!!आया आया रमज़ान का...
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शनिवार, 14 जुलाई 2012

नया मौसम


मै अपने गम मे गाफ़िल ,तू अपनी खुशी मे मुब्तिला !
क्यूं हो अब मिलना,और कब तक चलेगा ये सिलसिला ?

मै दर्द के हर मुकाम से गुज़र गया,
है तुझमे सलाहियत, तो कोई नया दर्द दे !
बेशक हवाओं की नर्मी, नश्तर चुभो रही,
ख्वाहिश फ़िर भी कि, नया मौसम सर्द दे!!

मौहब्ब्त के अह्सास को, कोई नया नाम दो !
कि अब इसमे भी फ़रेब का अह्सास होता है!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

रविवार, 24 जून 2012

दुहाई है दुहाई


वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
प्रणव जी को राष्ट्र्पति-भवन का दिया तोह्फ़ा
क्योंकि उनके बजट से ही तो आई ये मँहगाई!
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
भारत का सालाना बजट-घाटा बढता जा रहा है,
फ़िर मुद्रा कोष को१०००० डालर की थैली थमाई!
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
गरीबी बढाने के अजब तरीके तूने कैसे सुझाये,
तभी डालर के मुकाबले रुपये ने मुँह की खाई !
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
पैट्रोल और डीज़ल अब इत्र की शीशी मे आयेगा
कभी सब्सीडी का हवाला कभी डालर की बेहयाई!
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
बोधिसत्वकस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दर आगर २८२००७

बुधवार, 23 मई 2012

पैट्रोल के दाम

   पैट्रोल के दाम की हुई फिर बढ़ोत्तरी ,
अब शर्तिया खाली हो जायेगी तशतरी !!
सब्जी, दाल,आटा, चावल महगे होंगे,
दिखेंगे टेबल पर,केवल खाली डोंगे !!
बच्चों के स्कूल का भाडा दूना होगा ,
आफिस भी इसीलिय अब सूना होगा !!
मैडम आप इसमे कुछ भरपाई कर दो ,
मेकप ,किटी-पार्टी खर्चा  कम कर दो !!
चाऊ मीन , कोल ड्रिंक सपनो में मिलेगे ,
साइकिल पे बौस ,दौड़ते पीछे बाबू दिखेंगे !!
सरकार पहले बढ़ा कर,फिर कुछ घटायेगी ,
ऐसे ही मुलायम और ममता को पटायेगी !!
लेकिन यह चेतावनी है आज बोधिसत्व की ,
जनता ही कांग्रेस को ,अब धूल चटाएगी !!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

बुधवार, 16 मई 2012

संसद


साठ बरस की बूढी संसद ,कितनी अब लाचार हुई !
जैसे बाहिर अब्बा खाँसे,औ भीतर अम्मा बीमार हुई!!
बैठ तिहाड मे जब अफ़ज़ल गुरू,मंद-मंद मुस्काते हैं,
संसद के लम्बे-लम्बे ख्म्बे भी,बौने-बौने हो जाते हैं!!
भ्रष्ट सांसदो के नोट जब संसद मे लहराये  जाते है,
तब द्रौपदी-चीर-हरण के ज़ख्म, पुनःहरे हो जाते हैं!!
धर्म-नि्रपेछ संविधान की दुहाई तब बेमानी लगती है,
जब टिकट-आँवन्टन मे जाति-पाँति की बोली लगती है!!
कहाँ गई संसद जिसमे१५%विधिवेत्ता२२%किसान थे?
अब गुण्डों-हत्यारों को देख ,निरीह जनता हैरान है!!
भूल गये सब समाजवाद और प्रजातंत्र के नारे को,
ढूँढ रहे सब टाटा,अम्बानी और पूँजीवाद के प्यारे को!!
फ़िर संसद की बरसी पर नई डाक टिकट ज़ारी होगी,
साठ बरस मे संसद ने,जनता मँहगाई से मारी होगी !!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा२८२००७

मंगलवार, 8 मई 2012

न दफ़न करो




मेरे प्यार के गुबार को,
 न यूँ दफ़न करो !
गर हो गया कोई कुफ़्र,
तैय्यार क्फ़न करो !
हो गई हो गर शमा रौशन,
दावत-ए-सुखन करो!
तेरी रुसवाईयों से डरता हूं ,
वर्ना कहता कोई जशन करो!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

रविवार, 6 मई 2012


हँसना अब कितना मुहाल हो गया ?
विलावज़ह क्यूं हसूं सवाल हो गया!
दर्द को हम आज बेसाख्ता पालते हैं,
हँसने को मिले,फ़िर भी हम टालते हैं!!
सेहत के लिये हँसना कितना मुफ़ीद है,
गमज़दा इन्सान तो हँसने का मुरीद है !!
ब्लड प्रैशर,हाईपर टैन्शन से सब त्रस्त है,
इसीलिये हज़ारों बीमारियों से हम ग्रस्तहैं!!
चलो आज हास्य दिवस पर कसम खायें ,
गम कितना भी संगीन हो,धूंये मे उडायें !!  
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शुक्रवार, 4 मई 2012

प्यार करता हूं कितना


प्यार करता हूं कितना तुमको,सबको बता रहा हूं,
नाम लिख समन्दर की रेत पर,फ़िर मिटा रहा हूं!!
हम-उम्र बागों मे सब, जब अमिया चुरा रहे हैं,
उन सख्त-दरख्तों पर ,तेरे लिये चाकू चला रहा हूं!!प्यार करता हूं कितना....
जिन दरो-दीवार मे पैबस्त है,शँह्शाओं की यादें,
उन्ही पत्थरों पर नाम लिख,संगतराशी दिखा रहा हूं!!प्यार करता हूं कितना...
यह संगदिल ज़माना, अब क्यूं रोकता है मुझको?
सदियों से जो होता आया है,वोही रस्मे निभा रहा हूं!!प्यार करता हूं कितना..
क्या कभी किसी ज़माने मे, दिलों मे कैद हो सकी?
मुहब्बत मे वो मुझे सताते है,मै उन्हे सता रहा हूं !!प्यार करता हूं कितना...

बोधिसत्वकस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

मंगलवार, 27 मार्च 2012

हम हिन्दुस्तानी....


हम  हिन्दुस्तानी यूं ही नही कहलाते हैं,
दुशमन को केवल हम ही गले लगाते है!!
श्रद्धा-भाव,समर्पण का यहाँ नही कोई सानी,
पत्थर मे भरकर इनको हम देव बनाते हैं!! हम हिन्दुस्तानी.....
प्रक्रति हम सबको कुछ न कुछ देती है,
नदी,सूर्य-चन्द्र वछो,को हम अर्ध्य लगाते हैं!!हम हिन्दुस्तानी....
धर्म -प्रेम मे नतमस्तक होकर हम ही ,
धन,बैभव सम्पदा निःसंकोच भाव लुटाते है!!हम हिन्दुस्तानी......
अपने धर्म पर मिटने वाले बेशक हों पर,
हिन्दू-मुस्लिम,सिख-इसाई,भाई  कहलाते है!!हम हिन्दुस्तानी....
नर को नारायण,नारी को देवी कहने वाले,
इक दूजे को परस्पर आदर भाव निभाते हैं!!हम हिन्दुस्तानी...
भगत सिंह और राज गुरू के हम बंशज़ है,
उनकी गाथाओं को ही जीवन मे अपनाते हैं!!हम हिन्दुस्तानी..
इन विविध विधाओं के वैग्यानिक है हम,
इसीलिये तो हम हिन्दुस्तानी  कहलाते है !!हम हिन्दुस्तानी...
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

गुरुवार, 15 मार्च 2012

जांबाज़

दर्द को जो हंस कर सहते हैं ,
हर हाल में वो खुश रहते हैं !
ज़िन्दगीमे खुशी ज़्यादा ,गम कम है ,
फिर भी गम  को हम नहीं सहते हैं !!दर्द को जो....
गम तो खुशी बढाने के खुराक है,
वरना खुशी में भी लोग रोते रहते हैं !!दर्द को जो.....
वो कौन है जो गम से रूबरू न हुआ,
हंस के दफा करे,उसे जाबाज़ कहते हैं
बोधी सत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा 282007

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

शत-शत नमन शहीदों को,

शत-शत नमन शहीदों को,


जिन प्रजातन्त्र उपहार दीन्हों!

पर है धिक्कार उन नेतन को,

जिन जा की मर्यादा नाही चीन्हों !!शत-शत नमन शहीदों को,

अपने घर भरवे की चिन्ता मे,

अपनो देश ही गिरवी धर दीन्हों !!शत-शत नमन शहीदों को,

कर-कर अरबन के घोटाले,

स्विस बैंक के लाकर भर दीन्हों!! शत-शत नमन शहीदों को,

अब आयो है मत देवे को त्यौहार,

समझ कर डारियो चूक न कीन्हो!! शत-शत नमन शहीदों को,

अबकी ह्वे गई जो भूल दोबारा,

मँहगाई ते,बच्चन को ज़हर पडेगो पीनौ !!शत-शत नमन शहीदों को,

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दर आगरा २८२००७

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

रा्जनीति की रंग-बिरंगी पिच्कारी,

रा्जनीति की रंग-बिरंगी पिच्कारी,


इक दूजे पर बढ-चढ देवें गारी !

जनता सुन-सुन लेय रही आँनद,

कोऊ नही जानत किनकी बारी!! रा्जनीति की....

अभे सभी इक दूजे बतावत भ्र्ष्ट,

पर बाद इलैक्शन होवे है लाचारी !!

इब तो जनता जान गई है इनको,

और जानित है इनकी मक्कारी !! राजनीति की........

आज जो दीखत हैं जैसे दुसमन,

बाढेगी फ़िर बिनमे ही भाई-चारी !

पर बाद इलैक्शन सबै बिसराकर,

करिंगे सरकार बनावे की त्त्यारी !! रा्जनीति की....

हाय छिछोडी कैसी राजनीति भई,

जैसे कीचड मा फ़ूहड खेलें होरी !

भाई-भतीजा सत्ता हथियाकर करें,

समाजवाद की फ़िर से बलिहारी !! रा्जनीति की......

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

अनुराग

मुझे तुमसे अनुराग कितना है?

पुष्प में मीठा पराग जितना है !

भ्रमर स्वादन जितना भी करे,

पुनर्निमाण का सम्भाग उतना है!! मुझे तुमसे........


माँ की ममता दूध से बहती है,

जीव-पालन की वेदना सहती है!

फ़िर भी निश्चल,निष्काम प्रेम की,

अविरल-धार आँचल मे रहती है!!

उसी निश्चल प्रेम का प्रतिफ़ल हूँ,

जो विवहिता के सुहाग जितना है!! मुझे तुमसे......

उषा-भास्कर की प्रथम किरण से,

प्रेम हर कोई समझ सकता नही!

है वो अहसास जो कभी किसी,

भाव विश्व मेकहीं बिकता नही !!

बेशक तुम उसका प्रत्युत्तर नही,

देखे मौन मे बैराग कितना है? मुझे तुमसे.....

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

रविवार, 29 जनवरी 2012

आओ आओ रितुराज बसन्त,

आओ आओ रितुराज बसन्त,

तुम्हारा स्वागत करती है-

भारत की समस्यायें अनन्त!! आओ आओ......

भ्रष्टाचार और परिवार वाद,

की हैं समस्यायें ज्वलन्त !! आआ आओ......

फ़िर भी एक आस बाकी है,

जब तक है अन्ना जैसा सन्त!! आओ आओ.....

जडें इतनी गहरा गई है,

उन्मूलन हो नही सकता तुरन्त!!आओ आओ......

पर संस्क्रति हमारी धरोहर है,

जो आज भी निरन्तर है जीवन्त!!आओ आओ....

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७