बुधवार, 23 मई 2012

पैट्रोल के दाम

   पैट्रोल के दाम की हुई फिर बढ़ोत्तरी ,
अब शर्तिया खाली हो जायेगी तशतरी !!
सब्जी, दाल,आटा, चावल महगे होंगे,
दिखेंगे टेबल पर,केवल खाली डोंगे !!
बच्चों के स्कूल का भाडा दूना होगा ,
आफिस भी इसीलिय अब सूना होगा !!
मैडम आप इसमे कुछ भरपाई कर दो ,
मेकप ,किटी-पार्टी खर्चा  कम कर दो !!
चाऊ मीन , कोल ड्रिंक सपनो में मिलेगे ,
साइकिल पे बौस ,दौड़ते पीछे बाबू दिखेंगे !!
सरकार पहले बढ़ा कर,फिर कुछ घटायेगी ,
ऐसे ही मुलायम और ममता को पटायेगी !!
लेकिन यह चेतावनी है आज बोधिसत्व की ,
जनता ही कांग्रेस को ,अब धूल चटाएगी !!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

बुधवार, 16 मई 2012

संसद


साठ बरस की बूढी संसद ,कितनी अब लाचार हुई !
जैसे बाहिर अब्बा खाँसे,औ भीतर अम्मा बीमार हुई!!
बैठ तिहाड मे जब अफ़ज़ल गुरू,मंद-मंद मुस्काते हैं,
संसद के लम्बे-लम्बे ख्म्बे भी,बौने-बौने हो जाते हैं!!
भ्रष्ट सांसदो के नोट जब संसद मे लहराये  जाते है,
तब द्रौपदी-चीर-हरण के ज़ख्म, पुनःहरे हो जाते हैं!!
धर्म-नि्रपेछ संविधान की दुहाई तब बेमानी लगती है,
जब टिकट-आँवन्टन मे जाति-पाँति की बोली लगती है!!
कहाँ गई संसद जिसमे१५%विधिवेत्ता२२%किसान थे?
अब गुण्डों-हत्यारों को देख ,निरीह जनता हैरान है!!
भूल गये सब समाजवाद और प्रजातंत्र के नारे को,
ढूँढ रहे सब टाटा,अम्बानी और पूँजीवाद के प्यारे को!!
फ़िर संसद की बरसी पर नई डाक टिकट ज़ारी होगी,
साठ बरस मे संसद ने,जनता मँहगाई से मारी होगी !!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा२८२००७

मंगलवार, 8 मई 2012

न दफ़न करो




मेरे प्यार के गुबार को,
 न यूँ दफ़न करो !
गर हो गया कोई कुफ़्र,
तैय्यार क्फ़न करो !
हो गई हो गर शमा रौशन,
दावत-ए-सुखन करो!
तेरी रुसवाईयों से डरता हूं ,
वर्ना कहता कोई जशन करो!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

रविवार, 6 मई 2012


हँसना अब कितना मुहाल हो गया ?
विलावज़ह क्यूं हसूं सवाल हो गया!
दर्द को हम आज बेसाख्ता पालते हैं,
हँसने को मिले,फ़िर भी हम टालते हैं!!
सेहत के लिये हँसना कितना मुफ़ीद है,
गमज़दा इन्सान तो हँसने का मुरीद है !!
ब्लड प्रैशर,हाईपर टैन्शन से सब त्रस्त है,
इसीलिये हज़ारों बीमारियों से हम ग्रस्तहैं!!
चलो आज हास्य दिवस पर कसम खायें ,
गम कितना भी संगीन हो,धूंये मे उडायें !!  
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शुक्रवार, 4 मई 2012

प्यार करता हूं कितना


प्यार करता हूं कितना तुमको,सबको बता रहा हूं,
नाम लिख समन्दर की रेत पर,फ़िर मिटा रहा हूं!!
हम-उम्र बागों मे सब, जब अमिया चुरा रहे हैं,
उन सख्त-दरख्तों पर ,तेरे लिये चाकू चला रहा हूं!!प्यार करता हूं कितना....
जिन दरो-दीवार मे पैबस्त है,शँह्शाओं की यादें,
उन्ही पत्थरों पर नाम लिख,संगतराशी दिखा रहा हूं!!प्यार करता हूं कितना...
यह संगदिल ज़माना, अब क्यूं रोकता है मुझको?
सदियों से जो होता आया है,वोही रस्मे निभा रहा हूं!!प्यार करता हूं कितना..
क्या कभी किसी ज़माने मे, दिलों मे कैद हो सकी?
मुहब्बत मे वो मुझे सताते है,मै उन्हे सता रहा हूं !!प्यार करता हूं कितना...

बोधिसत्वकस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७