गुरुवार, 13 सितंबर 2012

हिंदी दिवस


हिंदी की बिन्दी,
खुद हमने कर दीनी चिन्दी-चिन्दी !
भारत माँ का भाल हो रहा सूना,
राष्ट्र भाषा अपनी क्यों लगती गन्दी !! हिन्दी की बिन्दी..
सबसे सहज़ सरल निज भाषा ,
झूठा प्रेम दिखा मनाते दिवस हिन्दी!! हिन्दी की बिन्दी..
अगले दिवस भुला जाते इसको,
३६४दिन इसकी कर देते ताला-बन्दी!!हिन्दी की बिन्दी..
अंग्रेज़ी,उर्दू सबको अपना बनते हम,
दरिया-दिल ,और भुला जाते माँ-हिन्दी!!हिन्दी की बिन्दी..
राष्ट्र-भाषा का दर्ज़ा देकर भी हमने,
गौरव नही प्रदान किया रोये-हिन्दी!! हिन्दी की बिन्दी..

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७



रविवार, 9 सितंबर 2012

झील के साये मे भीगा तन तुम्हारा,


झील के साये मे भीगा तन तुम्हारा,
याद है आज भी साझं का वो नज़ारा!
वासना के समन्दर मे मन गोते ले,
और तन गर्म श्वासों मे डूबा  बेचारा!!झील के साये मे ....
रात पूरी यूं ही आँखों मे ही कट गई,
पता नही सूरज कब निकला दोबारा!!झील के साये मे .....
दिन गुज़र गया उनीदी कल्पनाओं मे,
सांझ होते ढूँढ्ने लगा झील का किनारा!!झील के साये मे ....
तुम ना आये फ़िर कभी उस झील पर,
हाँ मैं रोज़ आता हूँ कि हो दर्शन दुबारा!!झील के साये मे ...

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शनिवार, 1 सितंबर 2012


कितना संघर्ष चारों ओर है ?
पता नही साझं कब भोर है !!
सावन यूही सूखा निकल गया ,
भादों मे नाचता अब मोर है!!कितना संघर्ष...
कोयल अब कूकती नही है,
कऊओ का सब तरफ़ ज़ोर है!!कितना संघर्ष....
संसद अब सेवा करती कहाँ?
अब यहाँ  गुन्डों का शोर है!!कितना संघर्ष...
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७