शनिवार, 8 सितंबर 2018

आज़ादी

मुझे किसी से कोई सरोकार नही ऐसा कोई बैगैरत खुद्दार नही! एक दूज़े के साथ मिल्जुल ज़िन्दगी चल्ती है, खुद खरीद खुद्को बेच ले ऐस कोई व्यापार नही! फ़िर क्यो किसी को अपने से कमतर समझते हो? मै और तुम मिल्कर हम हुये, क्या इसका इसरार नही? बडी ज़िल्लतो से मिलकर पाई है हमने आज़ादी, डुबा न देना सफ़ीना मझदार मे अभी मन्ज़िल दूर है पार नही!!