रविवार, 29 जनवरी 2012

आओ आओ रितुराज बसन्त,

आओ आओ रितुराज बसन्त,

तुम्हारा स्वागत करती है-

भारत की समस्यायें अनन्त!! आओ आओ......

भ्रष्टाचार और परिवार वाद,

की हैं समस्यायें ज्वलन्त !! आआ आओ......

फ़िर भी एक आस बाकी है,

जब तक है अन्ना जैसा सन्त!! आओ आओ.....

जडें इतनी गहरा गई है,

उन्मूलन हो नही सकता तुरन्त!!आओ आओ......

पर संस्क्रति हमारी धरोहर है,

जो आज भी निरन्तर है जीवन्त!!आओ आओ....

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७