शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

चाँदनी रात

सुनाओ कुछ मिलन की बात अच्छी!

जिससे कटे यह चाँदनी रात अच्छी !!

हर रात की नही होती बात अच्छी !

जब जगे ज़ज्बात,है शुरूआत अच्छी !!

दिल लगा हो तो, लगती हरबात अच्छी!

प्यार मे तो लगती , कड्वी बात अच्छी!!

तुम दूर चले जाओ, नही यह बात अच्छी !

फ़िर मिलो न मिलो,नही यह बात अच्छी !!

याद आती है, मिलन की वो रात अच्छी !

हुई थी तुमसे पहली ,वो मुलाकात अच्छी !!

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज

सिकन्दरा,आगरा -२८२००७

शनिवार, 14 अगस्त 2010

saanchaa

सांचा
-------बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ . .
नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा
२८२००७
अच्छा है कि भगवान ने ,मानव को एक ही सांचे मै नही ढाला!
वरना सब एक से दीखते,न कोई गोरा होता और,न कोई काला!!
कितने कन्फ़्यूज़ रहते हम, कि यह रामू का भाई है या साला!
कभी मौसी को बुआ कहते, कभी बुआ को कह देते ओ खाला!! अच्छा है कि भगवान.......
पापा-पापा कह्ते चाहे थक जाते,क्योंकि वो तो था उनका साला!
गणेश जी को पवन-पुत्र कह जाते,और यमराज को गोविन्दाआला!! अच्छा है कि भगवान.....
इन्ही गफ़लतों मे दिन कट जाता, रात को सो जाते लगा मुह्ताला!
अच्छा है कि भगवान ने, मानव को एक ही सांचे मे नही ढाला !!

बुधवार, 20 जनवरी 2010

बसंत


प्रकृति के इस पावन पर्व को प्रणाम !

मां सरस्वती के साधकों को मेरा सलाम !!

उपवन में पुष्प पल्लवित हो रहे हैं !

भ्रमर का हो रहा है आज गुंजन !

पर tham न जाये पर्यावरण प्रदूषण से यह मुकाम !! प्रकृति के..........

कब तलक हम प्रकृति को यों रोंदते रहेंगे ?

वे भी कब तलक इस अत्याचार को गोंद्ते रहेंगे ?

करो कुछ प्रकृति को परिष्कृत करने का नया आयाम!!प्रकृति के .........

है प्रश्न यह -क्या भावी पीढ़ी को बसंत याद रह पायेगा?

फिर कैसे होंगे पुष्प -पल्लव के कलाम !! प्रकृति के ............

कर रहे भारी मन से ,स्वागत तुम्हारा ऋतुराज- वसंत!

अब न होगा कीट्स,मिल्टन या सुमित्रानंदन पन्त !!

प्रकृति के पुजारी मिट jayenge , mil jayega unko विराम !!

प्रकृति के इस पावन पर्व को प्रणाम !

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा 282007



मंगलवार, 5 जनवरी 2010

आप सब तक पहुंचे ,नव वर्ष की शुभकामनायें>> सुख ,समृधि ,सर्वत्र महके ,है यही मम भावनाएं>> अब ना कोई आतंकवाद का ,ज़ोर-ज़ुल्म आए राहों में,>> हर मुमताज़ जीना चाहे ,शाहजहाँ की बाहों में>> इश्क-मोहब्बत से ही पनपती हैं ,पुरानी-नयी सभ्यताएं>> आप सब तक पहुंचें नव वर्ष की शुभ कामनाएं>> अब तौबा करो ,तोप-तलवार और संगीन से,>> नयी पीढी को सजाने दें ,सपने नए रंगीन से>> खौफ से मिटती है ,विश्वास की मान्यताएं ,>> आप सब तक पहुंचे ,नव वर्ष की शुभ कामनाएं>> ज़ख्म से भी होता है दर्द ,मोहब्बत भी इसे जगाता है>> विश्वास और इखलाख ,ख़ुद आतंकवाद को भगाता है>> दीवाना वहशीपन ,दरिंदगी थीं ,गए साल की विवशताएँ>> आप सब तक पहुंचें ,नववर्ष की शुभ कामनाएं>> बोधी सत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा २८२००७>