रविवार, 22 मई 2016

भारत की नारी


लू-लपट के थपेडों मे जो लोहा पीटती है, पीठ पर बाँध पुरुषों का प्रेम घसीटती है, उसको केवल भारत की नारी कहते है!! एक जून आधी रोटी खाकर बच्चे पाले, शराब मे धुत्त पति की जो गाली खाले, उसको केवल भारत की नारी कहते है!! पति के हारे दाँव,जो चीर हरण करवाये, पति परमेश्वर को यम से छीन ले आये, उसको केवल भारत की नारी कहते है!! बीच भँवर जो पति छोड अगर जाये, बाँध पुत्र को पीठ,दुश्मन से भिड जाये, उसको केवल भारत की नारी कहते है!! गार्गी,मत्रेयी विदुषी-शास्त्रार्थ मे पारंगत, मेघापाटेकर,अरुन्धति सी जिनकी रंगत, उसको केवल भारत की नारी कहते है!! ’तस्य नारी पूज्यन्ते स्वर्गादपि गरीयसी’ खेतों से अंतरिछ मे कल्पना चावला सी उसको केवल भारत की नारी कहते है!! बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा,आगरा-२८२००७

शुक्रवार, 13 मई 2016

तसव्वुर


बाद जाने के उनके,उनकी हर बात पर रो्ना आया! बदल गये हालात,बदले हुये हालात पर रोना आया!! कर लेते है अब ख्वाबो- ख्यालो मे तसव्वुर उनका, तसव्वुर मे उल्झॆ ज़ज़्बात,ज़ज़्बात पर रोना आया!! हर वक्त मुस्कुरा कर मि्लते थे,गोया कोई दर्द नही, न जाने छुपाने को उसने कहाँ-कौन सा कोना पाया!! क्या फ़र्क पडता गर दर्द का मुझे हमनवा बना लेते, थी यह सलाहियत उस्की,जहाँ खुद को बौना पाया!! हमदम न सही,हम सफ़र ही जो मुझको बना लेते, दोस्ती के काबिल न समझा,ये सोचकर रोना आया!! बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा,आगरा-२८२००७