सोमवार, 7 नवंबर 2011

आगरा

मेरे प्यार का पहला, निशान है आगरा !

मुहब्बत और इख्लाक की, शान है आगरा !!

मेरी कर्म्-स्थली ,जिसका निशाँ है आगरा !

विवाह,पुत्र-प्राप्ति मिली,सारा जहाँ है आगरा !!

इस ज़मी पर ही लिये थे, विवाह के फ़ेरे !

अब यही पर सोये हुये है , माँ-बाप मेरे !!

ज़िन्दगी के तीन दशक, हमने यहाँ गुज़ारे है!

दुशमन कोई नही यहाँ, लाखों दोस्त हमारे है!!

यहाँ की आबो-हवा ने, लेखनी को संवारा है!

इसीलिये यह वतन, मुझे जान से प्यारा है !!

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७