सोमवार, 13 मार्च 2017

होली के हुड़दंग मे,

होली के हुड़दंग मे, भूल गये सब भंग मे! कौनबडा कौन छोटा. कौनपतला कौन मोटा? चढाय भंग का इक लोटा, बीबी को समझे माहितारी, एसी मारी गइ बुद्धि हमारी! जब चरणन मे लोट लगाइ, बोली- काहेभुलाय गये का ? हम तो है बाबू तुहार लुगाई! अम्मा.चाची सब लिसी पुती, छेड दीये बोली खयिओ जुती? होली खिलिहे.भंग न लेइब अबकी! कन्हैया के प्रेम की अब लेइब डुबकी !!