शनिवार, 10 नवंबर 2012

अगले जनम


यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
क्या तुमने नव श्रंगार किया ?
मै पागल प्रेमी पूछ रहा सबसे,
क्या मैने किसी से प्यार किया!!
जो तुम मेरे जीवन मे आईं,
तुमने मुझ पर उपकार किया !
श्याम सलोने सा सुन्दर बेटा,
मुझको अनुपम उपहार दिया !!यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
उर मे बसी उर्वशी हो मेरी तो,
कभी काली का अवतार लिया !
कभी नही माँगा कुछ तुमने ,
नाही सेवा का अधिकार दिया !!यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
कैसे हो परिपूर्ण प्रेम-परिभाषा ?
है मेरी यह अन्तिम अभिलाषा !
अगले जनम बनूं तुम्हारी सजनी,
और तुम बनना मेरे प्राण पिया!!यह धरा धूमकेतु सी नाच रही,
 बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

सोमवार, 5 नवंबर 2012

तहज़ीब


प्यार मे रूठना-मनाना भी, एक तहज़ीब है !
ज़ाहिर इसी से होता, कौन कितना करीब है!!
उस रब की काय्नात का,यही सिलसिला है !
कभी खुशी देता है वो, तो कभी गम मिलाहै!!
रूठने -मनाने  का शायद,यही फ़लसफ़ा है !
ज़माने मे कहीं ज़फ़ा ,तो  कहीं वफ़ा है !!
कहते है कि यह ज़िन्दगी कितनी अज़ीब है?
क्ल तक जो मानिन्द था,आज वही रकीब है!!
प्यार मे रूठना-मनाना भी, एक तह्ज़ीब है !!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७