रविवार, 22 जुलाई 2012

रमज़ान


आया आया रमज़ान का, यह जो मुक्द्दस महीना !
रोज़ेदारों पर रहमत खुदा की,डूबे कभी ना सफ़ीना!

पीर -मुरशिद कह गये ,  कामे तू ऐसा कर जा,
कभी तुझसे तकलीफ़ . किसी और को हो कभीना!!आया आया रमज़ान का..

सज़दे मे उसके जिसका भी, सर कभी झुका हो,
आसान हो गया फ़िर उसका,मुश्किलो मे भीजीना!!आया आया रमज़ान का...

जो है तू सच्चा मुसलमान ,मुसल्सल ईमान रख,
कोई क्या बिगाड लेगा, चाहे हो कितना कमीना !!आया आया रमज़ान का..

अल्लाह् पर जो रखेगा तू ,हर वक्त हर शै एतबार,
वो ही कर देगा ज़िन्दगी को, खूबसूरत नगीना !!आया आया रमज़ान का...

मिलता है रोज़ों का सबब, केवल उसी शख्स को,
जिसने किसी और से, कभी कुछ नही हो छीना!!आया आया रमज़ान का...
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुज सिकन्दरा आगरा २८२००७

शनिवार, 14 जुलाई 2012

नया मौसम


मै अपने गम मे गाफ़िल ,तू अपनी खुशी मे मुब्तिला !
क्यूं हो अब मिलना,और कब तक चलेगा ये सिलसिला ?

मै दर्द के हर मुकाम से गुज़र गया,
है तुझमे सलाहियत, तो कोई नया दर्द दे !
बेशक हवाओं की नर्मी, नश्तर चुभो रही,
ख्वाहिश फ़िर भी कि, नया मौसम सर्द दे!!

मौहब्ब्त के अह्सास को, कोई नया नाम दो !
कि अब इसमे भी फ़रेब का अह्सास होता है!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७