मंगलवार, 28 नवंबर 2017

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

तुम्हे हम ढून्ढ्ते है

तुम्हे हम ढून्ढ्ते है किसी शायर की रुबाई मे! है रश्क उनसे हमे जिन्से मिल्ती हो तुम तन्हाई मे! है यह आसमा बेशक तुम्हारा फ़िर क्यू बेसुरा राग शहनाई मे? हम तुम्हारे इश्क के शैदाई हैं जान दे देगे तुम्हारी रुसवाई मे! बोधिसत्व कस्तूरिया ९४१२४४३०९३

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2017

दीपावलि

पाच दिबस का पर्व यह दीपावलि कहलाए! खील- बताशा,खिलौना- गट्टा,और पटाखे, पाने को बच्चे-बूढो का तन-मन ललचाये!! मन ललचाये धनतेरस धनवन्तरि को पूजे, ज्यो चौदस की छोटी दीपावलि कहलाये!! श्री रामचन्द्र जी जब लौट अयोध्या आए, अयौध्या वासी दीप जला मगल गीत गाये!! गोवर्धन उठा उगली पर श्रीकिशन भगवन, बिरज मन्डल की कर रछा गोपाला कहलाये!! यम द्वतीया पर भाई सग नहा यमुना,बैकुन्ठ पा जाये!!

शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

कर्वा चौथ

आज फ़िर कर्वा चौथ आ गया नारी की अस्मिता का प्रश्न छा गया? अस्मिता से अधिक अस्तित्व भारी है, क्यों कि उस्के लिये पति प्रेम प्रदर्शन की बारी है ! जीवन उसने बीमारी गरीबी मे गुज़ारा है, उसे पता है कि विवाह बाद वो ही उसका सहारा है!

शनिवार, 2 सितंबर 2017

विजयदश्मी

बदल रहा है देश हमारा, बदल रहा परिवेष हमारा! रामनाम के चोले मे ठगता,भक्तो को दरवेश हमारा! रावण ने बहन पर अत्याचार का प्रतिशोध लिया था! पर माँ सीते पर क्या कभी कोई व्यभिचार किया था? पर जो राम रहीम बन अपने स्वज़नो को ठगते है! वो आज रावण से भी ज़्यादा अभद्र आचरण रखते हैं! बना बेटी उसके घर-परिवार मे ज़िसने आग लगाई है! वो न बाप ना गुरू बल्कि नारीहन्ता और कसाई है! कोई रामपाल कोई रामवृक्ष कोई आसाराम बना है! धर्म और सत्ता के मद मे रावण का भी बाप बना है! रावण का दहन कर क्या जतलाना चाहते हो भाई? अन्तस के रावण-भ्रष्ट आचरण का दहन करो भाई! लैं शपथ भ्रष्ट-पाखन्ड की लंका जलायेंगे! रामराज्य पुनह्स्थापित कर भारत माँ का कर्ज़ चुकायेंगे! बोधिसत्व कस्तूरिया आगरा

शनिवार, 12 अगस्त 2017

शपथ तुम्हे १५ अगस्त की

अब और शहादत वतन-परस्तों की फ़िर बर्बाद न होने पाये! सरहद पर और किसी जवान का सर कलम न होने पाये! क्यूँ "भारत माँ" का आँचल बारम्बार तार-तार यह होता है? माता रोती है ,जयचन्दो का कुनबा क्यूँ सिर-सवार होता है? "हिन्दी-चीनी भाई-भाई" कहने वालों से तुम रहो सावधान! मुगलों-अँग्रेज़ों की हुकूमत से हुआ संस्क्रति का अपमान!! हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई,आपस मे सदा रहे हैं भाई-भाई! तुष्टीकरण,धर्म-निरपेछ्ता की नेताओं ने खोदी गहरी खाई!! इनसे कह दो"मादरे-वतन" और मज़हब दोनो हमको प्यारे! इन ज़ुमलो पर जो लड्वाये,वो नेता नही है, गद्दार है सारे!! "भारतवर्ष" को मुगलो ने कह कह "हिन्दोस्तान" बनाया है! जब हिन्दू-राष्ट्र कह्लाने की बारी आई तो सिर चकराया है! हम"अल्लाह-ओ-अकबर"कह दें,तुम "वन्देमातरम" तो बोलो! जिन्हे "मादरे-वतन" पर नाज़ नही,कुछ उनकी आँखे खोलो!! जो गैर वतन-परस्ती करके खुद को मुसल्मान कहलाते हैं! वो "मुसल-सल-ईमान"न रखने पर,सिर्फ़ ’गद्दा्र’ कहलाते हैं!! ’जय हो मोदी’,’जय हो योगी’मदरसों पर तिरंगा लहरायेगा! "वन्देमातरम" जो गायेगा,वो ही केवल भारत्वासी कहलायेगा!! शपथ तुम्हे १५ अगस्त की इन्डिया नही "भारतवर्ष" बनायेंगे! खोया सम्मान वापिस दिला फ़िर"सोने की चिडिया" कहलायेंगे!!

गुरुवार, 10 अगस्त 2017

जब पूँछ बाहर निकली तो टेढी ही रही!

माननीय हामिद अंसारी जी ने उपराष्ट्र्पति पद से आज अन्तिम विदाई प्राप्त की और दोनो सदनो के सद्स्यो के बीच यह कह कर आग लगादी कि "आज भारत मे मुस्लिम संप्रदाय असु्र्छित महसूस कर रहा है!"अभी तक तो एक आस लगाये बैठे थे कि शायद भारत का प्रथम नागरिक होने का सौभाग्य प्राप्त हो जाय वर्ना एक ही रात मे एक महिला की चोटी की तरह उनकी सैक्यूलरिज़्म की चोटी कैसे कट कर गिर गई?वर्ना जब आमिर खान की पत्नी किरन राव को को अहसास हुआ कि "भारत मे उनका परिवार असुरछित है"तब उन्होने समर्थन क्यू नही दिया !जब देश भर मे साम्प्रदायिक्ता के खिलाफ़ सरकारी पारितोषिक पद्मभूषन,वापिसी का सैलाब आया तो उनका ज़मीर क्यूँ सोता रहा?जब देश और समाज़ से सर्वाधिक प्राप्त होने की आस टूट गई तो कौम का ख्याल आ गया! खेद का विषय है कि बारह साल बाद भी जब पूँछ बाहर निकली तो टेढी ही रही! बोधिसत्व कस्तूरिया एड्वोकेट कवि-पत्रकार "भास्वर भारत" हैदराबाद (अन्तराश्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका)

शनिवार, 13 मई 2017

शहनाईयों की आवाज़

आँखो मे शोख मुस्कुराहट थी, अधरों पर ना ना सुनता रहा! तुम बेफ़िक्र मस्ती करती रही, मै स्वप्न सलोने बुनता रहा!! "तुम्हारे लिये जाँन भी दे दूँ" कहा करती ! मै सुनता रहा!! आज किसी और की हो गई, और मै सिर्फ़ सिर धुनता रहा!! कैसी है पीर ये लबो मे बन्द, इसकी तीस मे मै घुनता रहा!! शहनाईयों की आवाज़ मे कैद, आँसुओं की माला बुनता रहा!! बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज ,सिकन्दरा,आगरा-२८२००७

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

तलाक

तलाक तलाक बन गया खुद ही मज़ाक! शौहर ने दे मेहर-चाँदी ली एक खुब सूरत बाँदी! जो उस्की हवस पूरा करे, और बाल-बच्चे पैदा करे! जब ज़नाब का शौक पूरा, फ़ेंक दी जान लायक घूरा! पर इस नाफ़र्मानी को नही, करेंगी अब महिलाये बर्दाश्त! वो अर्धान्गनी बनेगी उनकी, अंग कट्ने की पीडा यादाश्त! वो बन्के रहेंगी अब गृहणी, ताकि घर रहे उनका रिणी! संविधान से मिला है उनको, बराबरी का माकूल दर्ज़ा! उन्को मिले हक औ हर्ज़ा! धर्म निरपेछ राष्ट्र मे नही शरिया का अब कोई अर्ज़ा! जिस वतन की माटी पले, उसका उतारेगी अब कर्ज़ा! बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा-२८२००७

सोमवार, 13 मार्च 2017

होली के हुड़दंग मे,

होली के हुड़दंग मे, भूल गये सब भंग मे! कौनबडा कौन छोटा. कौनपतला कौन मोटा? चढाय भंग का इक लोटा, बीबी को समझे माहितारी, एसी मारी गइ बुद्धि हमारी! जब चरणन मे लोट लगाइ, बोली- काहेभुलाय गये का ? हम तो है बाबू तुहार लुगाई! अम्मा.चाची सब लिसी पुती, छेड दीये बोली खयिओ जुती? होली खिलिहे.भंग न लेइब अबकी! कन्हैया के प्रेम की अब लेइब डुबकी !!