गुरुवार, 26 अक्तूबर 2017

दीपावलि

पाच दिबस का पर्व यह दीपावलि कहलाए! खील- बताशा,खिलौना- गट्टा,और पटाखे, पाने को बच्चे-बूढो का तन-मन ललचाये!! मन ललचाये धनतेरस धनवन्तरि को पूजे, ज्यो चौदस की छोटी दीपावलि कहलाये!! श्री रामचन्द्र जी जब लौट अयोध्या आए, अयौध्या वासी दीप जला मगल गीत गाये!! गोवर्धन उठा उगली पर श्रीकिशन भगवन, बिरज मन्डल की कर रछा गोपाला कहलाये!! यम द्वतीया पर भाई सग नहा यमुना,बैकुन्ठ पा जाये!!

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